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कैंसर शिविर आशा और उपचार की किरण प्रदान कर संभावना, खुशी और अपनेपन के द्वार खोलते हैं।

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


कैंसर शिविर आशा और उपचार की किरण प्रदान कर संभावना, खुशी और अपनेपन के द्वार खोलते हैं। अतः इसी उद्देश्य से *हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर, ने *मुख्य चिकित्सा अधिकारी- कुशीनगर के सहयोग से पुरुष एवं नेत्र चिकित्सालय, पडरौना, ज़िला-कुशीनगर, के प्रांगण में आज दिनांक 18 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार को प्रातः 10:00 बजे से शाम 3:00 बजे तक* एक नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 138 मरीज कैंसर के प्रति अपनी व्यक्तिगत शंकाओं का समाधान कराने आये। शिविर के लिए निर्धारित समय से पहले ही मरीज अपने तीमारदारों के साथ पहुंचने लगे थे। कुछ मरीज अपने पुराने इलाज के पर्चे और चिकित्सा-विवरण भी साथ लाए थे। कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी और सहायक चिकित्सक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने सभी लोगों की समस्या देखकर पूरी गंभीरता के साथ उनमें कैंसर संबंधित लक्षण की जांच-पड़ताल कर मरीजों एवं उनके परिजनों को उचित परामर्श, प्रशिक्षण तथा कैंसर इलाज के बारे में जानकारी दिया। सभी को अस्पताल की ओर से मुफ्त दवाइयाँ दी गईं। 

कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा अस्पताल में आए लोगों से डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने चिंताजनक आँकड़े साझा करते हुए बताया कि भारत में हर साल लगभग 8,00,000 नए कैंसर के मामले दर्ज होते हैं, और कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। उन्होंने बताया कि कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और आसपास के अंगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं। उन्होंने लगातार घाव या अल्सर, अस्पष्टीकृत सूजन, गांठें, छाती से स्राव, मल, मूत्र या उल्टी में रक्त, आवाज में बदलाव, निगलने में कठिनाई, अस्पष्टीकृत वजन घटना, कमजोरी, एनीमिया और मुंह के छाले या रंग परिवर्तन जैसे शुरुआती चेतावनी संकेतों को पहचानने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन लक्षणों का अनुभव करने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए, और लोगों से आग्रह किया कि वे संभावित जोखिमों को नज़रअंदाज़ न करें। शिविर प्रशासक अजय श्रीवास्तव ने इनकी जिज्ञासाओ को दूर करते हुए इन्हें बताया कि कैंसर शिविर आशा और उपचार की किरण प्रदान करते हैं। ये शिविर कैंसर रोगियों को एक सुरक्षित, सहायक और मनोरंजक वातावरण प्रदान करने के लिए विशेष रूप से नियोजित किए जाते हैं जहाँ वे जीवन की खुशियों को फिर से पा सकें। ऐसे शिविर में भाग लेने के अनेक लाभ हैं और ये सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षेत्रों में गहराई से प्रभावशाली होते हैं। जिन लोगों को कैंसर होने का संदेह है, उनकी ज़िम्मेदारी है कि वे शिविर में आएँ, क्योंकि हम उन्हें आने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। ग्रामीण भारत में कैंसर रोगियों को ढूँढना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि वे अपनी कैंसर की बीमारी दूसरों से छिपाते हैं। कैंसर उपचार से समग्र अस्तित्व और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। इसलिए अगर कैंसर होने की दुविधा हो तो झाड़-फूंक के लिए बाबा/हकीम को दिखाने में समय बर्बाद न कर तुरंत कैंसर-चिकित्सक को दिखाएं ताकि अगर यह कैंसर है तो इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सके।

सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण-पुस्तिका आदि वितरित किया गया ताकि वे कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरूकता के लिए व्यापक शिक्षाप्रद कार्यक्रमों को अयोजित करें जिससे सभी लोगों को कैंसर के कारण, बचाव, लक्षण और उपचार तथा कैंसर के दुष्प्रभावों के बारे में पता चले।

शिविर में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव सुमन, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, सत्यवती तिवारी, अतुल पांडेय, नारद मुनि, रामसूरत सिंह, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य विशेष उल्लेखनीय योगदान रहा।

 

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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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