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SC लाभार्थियों के नाम पर 1.12 करोड़ की सरकारी धनराशि गबन करने वाले बर्खास्त डाककर्मी शैलेंद्र कुमार और परशुराम गिरफ्तार

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


लखनऊ | अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को ऋण अनुदान देने की योजना में भारी फर्जीवाड़ा कर 1.12 करोड़ रुपये का सरकारी धन हड़पने के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) उत्तर प्रदेश ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में बर्खास्त डाककर्मी शैलेंद्र कुमार और परशुराम शामिल हैं।

यह घोटाला उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही स्वतः रोजगार योजना (वर्ष 2011-12 से 2015-16) के अंतर्गत सामने आया। योजना के तहत अनुसूचित जाति के पात्र लाभार्थियों को ऋण एवं अनुदान की सुविधा दी जाती थी।

फर्जी लाभार्थियों के नाम पर जारी हुए थे 85 चेक

विवेचना में खुलासा हुआ कि उ.प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड, शाखा बाँसगांव के माध्यम से 85 फर्जी लाभार्थियों के नाम पर चेक तैयार कर ₹1,12,40,000 की धनराशि जारी की गई। इनमें से केवल 2 लाभार्थियों को ₹20,000 का भुगतान हुआ, जबकि शेष ₹1,12,20,000 आरोपियों ने डाकघर बेतियाहाता व सिविल लाइंस, लखनऊ से चेक कैश कराकर आपस में बाँट लिया।

इस घोटाले के संबंध में थाना कैण्ट, लखनऊ में मु0अ0सं0-513/18, धारा 409 भा0द0वि0 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में यह विवेचना 26 दिसंबर 2018 को शासन द्वारा EOW को स्थानांतरित की गई।

विवेचना में सामने आए 7 आरोपी

प्राथमिक साक्ष्यों के आधार पर मामले में धारा 420, 467, 468, 471, 120B भा0द0वि0 व धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)D भ्र0नि0 अधिनियम की बढ़ोतरी की गई। अब तक 7 आरोपी दोषी पाए गए हैं, जिनमें से 3 के विरुद्ध आरोप-पत्र न्यायालय भेजा जा चुका है और 3 की गिरफ्तारी हो चुकी है।

शिंकजा अभियानके तहत गिरफ्तारी

पुलिस महानिदेशक, EOW लखनऊ के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान "शिंकजा" के तहत आज दिनांक 29 जुलाई 2025 को:

शैलेंद्र कुमार पुत्र राजेंद्र कुमार को पटना (बिहार) से

परशुराम पुत्र घुरहू को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया।


शैलेंद्र कुमार पूर्व में कूड़ाघाट डाकघर, लखनऊ में डाककर्मी था। उसने फर्जी खाता खोलकर अन्य खातों से धनराशि अपने खाते में ट्रांसफर कराकर जनता के लाखों रुपये का गबन किया। इस मामले में वर्ष 2022 में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसके बाद डाक विभाग ने उसे पद से बर्खास्त कर दिया।

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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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