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सहारा घोटाले की जड़ : अभी तक वाइस प्रेसिडेंट ओ.पी. श्रीवास्तव की गिरफ्तारी न होने पर उठ रहे गंभीर सवाल

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


सहारा घोटाले की जड़ : अभी तक वाइस प्रेसिडेंट ओ.पी. श्रीवास्तव की गिरफ्तारी न होने पर उठ रहे गंभीर सवाल!

 

देशभर में सहारा समूह के कर्मचारी शहर-शहर, मीडिया हाउस से लेकर सरकारी दफ्तरों तक लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। वर्षों की मेहनत का वेतन और बकाया भुगतान न मिलने से हजारों परिवार आर्थिक संकट में हैं। लेकिन समूह के वाइस प्रेसिडेंट ओ.पी. श्रीवास्तव मौन साधे हुए हैं - जैसे उन्हें किसी की परवाह ही नहीं।

 

कर्मचारियों की पीड़ा बनी सुर्खियां, मगर कार्रवाई नहीं

लखनऊ, दिल्ली, पटना, भोपाल और मुंबई में सहारा कर्मचारियों ने बार-बार प्रदर्शन किए। कई कर्मचारियों ने तो आत्महत्या तक कर ली, लेकिन न तो ओ.पी. श्रीवास्तव सामने आए, न समूह की ओर से किसी ने स्पष्टीकरण दिया। सवाल उठता है - जब सहारा का पूरा संचालन वर्षों तक उनके हाथ में था, तो आज ये कर्मचारी दर-दर की ठोकरें क्यों खा रहे हैं?

 

ओ.पी. श्रीवास्तव की बडी भूमिका, कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई डूबी

निवेशकों के साथ-साथ कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई भी सहारा के कागज़ी वादों में डूब गई। आरोप है कि ओ.पी. श्रीवास्तव ने कंपनी के फाइनेंशियल फैसलों को जानबूझकर गुमराह करने वाले तरीके से संचालित किया। करोड़ों की संपत्तियां गलत तरीके से ट्रांसफर की गईं, जबकि कर्मचारियों के वेतन के लिए फंड “नहीं होने” का बहाना बनाया गया।

 

धरने में उठी मांग- ओ.पी. श्रीवास्तव की संपत्ति कुर्क हो

कर्मचारियों ने एक सुर में मांग की है कि ओ.पी. श्रीवास्तव की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क किया जाए और उनकी बिक्री से कर्मचारियों और निवेशकों का बकाया भुगतान किया जाए। सहारा जैसी बड़ी कंपनी का यह हश्र देखकर आम जनता का भरोसा भी डगमगाने लगा है।

ईडी और न्यायालय से अब अंतिम उम्मीद

अब सभी की नजरें ईडी, सीबीआई और न्यायालय पर हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ओ.पी. श्रीवास्तव जैसे जिम्मेदार पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि देश के करोड़ों निवेशक और कर्मचारी अपने अधिकार का पैसा वापस पा सकें।

जनता का सवाल

“जब सहारा समूह में हजारों करोड़ की संपत्ति है, तो कर्मचारियों और निवेशकों को उनका पैसा कब मिलेगा? और आखिर ओ.पी. श्रीवास्तव जैसे घोटालेबाज अब तक जेल से बाहर क्यों हैं?”

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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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