- by Mahtab Alam
- 2025-06-08 12:07:25
स्वदेशी इनक्रेडिबल न्यूज़
गोरखपुर 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके जाफरा बाजार स्थित विशालकाय पाकड़ के पेड़ की छांव में बच्चों के लिए एक दिन की पाठशाला का आयोजन हुआ। जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सामाजिक कार्यकर्ता प्रसेन ने 'पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों' गीत प्रस्तुत किया। पर्यावरण की हिफाजत पर विभिन्न तरह के पोस्टर प्रदर्शित किए गए।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षक अली अहमद ने कहा कि कौम की बेहतरी के लिए सबको शिक्षा से जोड़ना होगा। आज समाज की सबसे बड़ी जरूरत शिक्षा ही है। मां-बाप कौम के बच्चों को स्कूल भेजें और जहां तक हो सके उन्हें पढ़ाने में कोई कसर न छोड़ें। यदि अपना पेट काटकर भी बच्चों को पढ़ाना पड़े तो पढ़ाएं। वहीं इल्मे दीन की पढ़ाई भी बहुत ज्यादा जरुरी है। रोजा, नमाज, जकात, हज दीन-ए-इस्लाम के अहम स्तंभ हैं। उन्हें पूरा करना भी हमारी अहम जिम्मेदारी है। अगर हमने अल्लाह व रसूल को राजी कर लिया तो समझो बेड़ा पार हो गया।
उन्होंने कहा कि प्रकृति में समय बिताने से बच्चे खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। प्रकृति की गोद में दी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा पद्धति है जो बच्चों के विकास के लिए बहुत फायदेमंद है और उन्हें प्रकृति के साथ एक मजबूत संबंध स्थापित करने में मदद करती है।
संचालन करते हुए कारी मुहम्मद अनस रजवी ने इस्लामी अकीदा बताया। उन्होंने कहा कि पेड़ की छांव में शिक्षा (तालीम) प्रकृति के साथ जुड़कर सीखने का अनुभव प्रदान करती है। खुले में सीखने से बच्चों को शुद्ध हवा मिलती है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा होती है। इससे प्रकृति की अहमियत पता चलती है।
अध्यक्षता करते हुए नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने उन्होंने कहा कि शिक्षा को प्राकृतिक वातावरण में देना, जिससे बच्चों को प्रकृति के साथ जुड़ने और उसके माध्यम से सीखने का अवसर मिलता है।
विशिष्ट अतिथि आसिफ महमूद ने दीन-ए-इस्लाम से जुड़कर जिंदगी गुजारने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा हासिल करने से बच्चों को बाहर समय बिताने, विभिन्न प्राकृतिक चीजों को छूकर और देखकर सीखने का अवसर मिलता है। यह रचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है। इससे बच्चों को प्रकृति के महत्व और उसके संरक्षण की शिक्षा मिलती है इस मौके पर हाजी बदरुल हसन, शाहनवाज, मुहम्मद जैद, फजल, मुहम्मद आरिफ, अरशद, हसन अली, रुशान, जीशान, अलीशान, अब्दुस्समद, रहमत अली, सफियान, शिफा खातून, फिजा खातून आदि मौजूद रहे।
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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)