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कैंसर शब्द ऐसे रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वे अन्य जीवी ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं।

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


 

कैंसर शब्द ऐसे रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वे अन्य जीवी ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं। कैंसर की कोशिकाओं रक्त और लसीका प्रणाली के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं। इसमें शरीर की कोशिकाओं का असमान विकास होता है वह शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल जाता है जिससे कई प्रकार के कैंसर हो जाते हैं वैज्ञानिक के मुताबिक डीएनए में असामान्य परिवर्तन होने से कैंसर के प्रकार का कारण बनता है। ट्यूमर में उपस्तिथ सभी कोशिकाएं एक जैसी नहीं होती है। हालांकि कैंसर को फ़ैलाने में मदद करती है और कोशिकाओं को प्रभावित कर नये ट्यूमर बनाने लगती है। एक अर्बुद (ट्यूमर) का अर्थ है कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि जिससे एक परावर्तित (ट्रांसफॉर्मड) कोशिकाओं का समूह बन जाता है। जिसे गांठ (लम्प) कहा जाता है। इसके बनने के प्रमुख कारण होते हैं- कोशिका विभाजन को नियंत्रित करने वाली प्रक्रिया का समापन तथा उसके अन्दर उपस्थित जीन्स (आनुवंशिकता की इकाई) में किन्हीं लक्षणों के प्रति जीनी उत्परिवर्तन (जीनिक म्यूटेशन)। 

उक्त बातें दिनांक 21 सितम्बर 2024, को हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान,गीता वाटिका, गोरखपुर, के कैंसर रोग चिकित्सक डॉ. दिव्या अग्रवाल ने रत्ना मेमोरियल पब्लिक स्कूल (रैम्पस), शाहपुर, गोरखपुर के प्रांगण में की। उन्ह उन्होने विभिन्न प्रकार के कैंसर के लक्षण और उनके उपचार के बारे में विस्तार से बताते हुए विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को को कैंसर से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के सुरक्षा उपायों के बारे में भी बताया।

 कार्यक्रम के आयोजक श्री अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कैंसर रोग अब लाइलाज नहीं है। कैंसर बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी के साथ-साथ सामर्थ्य की कमी और शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण अभी भी 50% से 70% मरीज उन्नत चरण में मौजूद हैं। भारत में मौखिक कैंसर की उच्च घटना पान (तंबाकू के साथ या बिना) चबाने, धूम्रपान और शराब के उच्च प्रसार के कारण है। भारत में कैंसर के इस उच्च प्रसार का कारण लोगों में जागरूकता की कमी, स्वयं की उपेक्षा और देर से प्रस्तुति, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जागरूकता की कमी और प्रारंभिक निदान के संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, वैकल्पिक प्रणालियों और नीम-हकीमों का प्रचलन है। जिन्हें कैंसर और इसके प्रबंधन, प्रचलित तम्बाकू, धूम्रपान और शराब के उपयोग, गरीबी और संसाधन की कमी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में, कई लोग कैंसर को संक्रामक संक्रामक रोग मानते हैं और इसे परिवार के लिए वर्जित मानते हैं जिससे अलगाव होता है। कैंसर केंद्र से निवास की दूरी भी कैंसर रोगियों में देर से प्रस्तुति और खराब जीवित रहने के लिए जिम्मेदार है। ग्रामीण इलाकों में युवाओं के बीच तंबाकू की लत आग में घी डालने का काम करती है, जो भारतीय आबादी में मौखिक घातकता के प्रमुख कारण के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया की अगर उचित टीकाकरण हो (जैसे एच० पी० वी० टीका आदि) तब भविष्य में कैंसर रोगियों की संख्या में काफी गिरावट आ जाएगी। इसलिए ऐसे टीकाकरण के लिए लड़कियों को आगे आना चाहिए।

विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री राज श्रीवास्तव ने उक्त अयोजन में अस्पताल के कैंसर जागरूकता टीम का स्वागत किया। कैंसर के कारण, प्रकार एवं उससे बचने के उपाय के बारे में जानने के प्रति विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं ने विशेष रुचि दिखाई और उसके बारे में अपने कई प्रश्नों के समुचित उत्तर पाकर खुश हुए। इस अभियान के आयोजन में विनीता श्रीवास्तव, सुनील मिश्रा, रामसूरत सिंह विद्यालय के शिक्षकों, शिक्षिकाओं, कर्मचारियों, आदि का विशेष योगदान रहा।

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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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