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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर

इस खबर के स्पोंसर है सॉफ्टनिक इंडिया, शाही मार्केट, गोलघर, गोरखपुर


प्रेस विज्ञप्ति 04 जून 2025

निजीकरण के विरोध में ध्यानाकर्षण आंदोलन कर रहे अभियंताओं का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न करने से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा: भीषण गर्मी में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति फैलाने का आरोप: बिजली के निजीकरण के विरोध में सभी जनपदों पर किसान संगठनों ने किया जोरदार विरोध प्रदर्शन
         विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि इस भीषण गर्मी में प्रबंधन अनावश्यक तौर पर बड़े पैमाने पर अभियंताओं का उत्पीड़न कर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति फैला रहा है जिससे बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। आज 22 किसान संगठनों ने  प्रदेश के समस्त जनपदों में जिलाधिकारी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर पूर्वांचल विद्युत निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग की। संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कर्मियों का विरोध प्रदर्शन प्रांत भर में जारी रहा।
          विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि जब बिजली कर्मचारी और अभियंता शांतिपूर्वक आंदोलन के साथ साथ भीषण गर्मी में उपभोक्ता सेवाओं को प्राथमिकता पर अटेंड कर रहे है तब पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन अनावश्यक तौर पर वी सी के नाम पर 87 अभियंताओं पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही करने में लगा है जिससे ऊर्जा निगमों में  औद्योगिक अशांति का वातावरण बन गया है। 
        संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी एवं अभियंता इस भीषण गर्मी में उपभोक्ता सेवाओं के प्रति संवेदनशील है । इसीलिए संघर्ष समिति की नोटिस में कहा गया है कि आंदोलन के कारण उपभोक्ता सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए। ऐसे वातावरण में जब उपभोक्ता सेवाओं की प्राथमिकता सबसे ऊपर है तब पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष घंटों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके अभियंताओं को डांटने फटकारने में लगे हैं। उपभोक्ता सेवाओं की दृष्टि से ही संघर्ष समिति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था जो पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को सूचित कर दिया गया था। इसके बावजूद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नाम पर 87 अभियंताओं को चार्ज शीट दी है और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने कई अभियंताओं को दंडित करने की दृष्टि से उनका स्थानांतरण कर दिया है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के उतावलेपन में प्रबन्धन औद्योगिक अशांति फैला रहा है जिससे बिजली कर्मियों का गुस्साऔर बढ़ गया है।
         बिजली के निजीकरण के विरोध में आज प्रदेश के 22 किसान संगठनों ने साझा मंच बना कर समस्त जनपदों में जिलाधिकारी कार्यालयों और छोटे स्थान पर उप जिला अधिकारी कार्यालयों पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में मुख्य मांग है पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए तथा ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए। 
         संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 189वें दिन बिजली कर्मियों ने समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। 

 

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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)

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