- by Amit Kumar Gond
- 2025-10-08 13:45:23
स्वदेशी इनक्रेडिबल न्यूज़
निजीकरण के पहले वर्टिकल सिस्टम के नाम पर हजारों पदों को समाप्त कर बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने की साजिश : केवल लेसा में लगभग 8000 पद समाप्त करने के निर्णय से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने कहा है कि पावर कारपोरेशन का शीर्ष प्रबंधन निजीकरण के नाम पर वर्टिकल सिस्टम लागू कर रहा है और इसके बहाने बिजली कर्मियों के हजारों पद समाप्त किया जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अकेले लेसा में ही 8000 से अधिक पद समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।
संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह मनमाने ढंग से हजारों पदों को समाप्त करने के मामले में तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें अन्यथा पावर कार्पोरेशन प्रबंधन उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था ध्वस्त कर देने पर आमादा है।
संघर्ष समिति गोरखपुर के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह एवं राकेश चौरसिया आदि ने बताया कि लेसा में 2055 नियमित पद और लगभग 6000 संविदा कर्मियों के पद मनमाने ढंग से समाप्त पर पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन प्रदेश की राजधानी की बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने का काम कर रहा है जिसका उपभोक्ता सेवा पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ने जा रहा है।
संघर्ष समिति ने बताया की वर्तमान में लेसा में अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर आठ किया जा रहा है, अधिशासी अभियंता स्तर के 50 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर 35 किया जा रहा है, सहायक अभियंता स्तर के 109 पद स्वीकृत उन्हें घटाकर 86 किया जा रहा है, अवर अभियंता स्तर के 287 पर स्वीकृत है उन्हें घटाकर 142 किया जा रहा है और टीजी 2 के 1852 पर स्वीकृति उन्हें घटाकर 503 किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त लेखा संवर्ग में अकाउंटेंट के 104 पद हैं उन्हें घटाकर 53 किया जा रहा है, एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट के 686 पद हैं उन्हें घटाकर 280 किया जा रहा है और कैंप असिस्टेंट के 74 पद हैं उन्हें लगभग समाप्त कर 12 किया जा रहा है ।
संघर्ष समिति ने बताया कि पद समाप्त करने और छटनी के मामले में सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है। संविदा कर्मियों के छह हजार से अधिक पद समाप्त किए जा रहे हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि जिस प्रकार मध्यांचल में,लेसा और केस्को में और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में हजारों मत समाप्त किये जा रहे हैं उससे बिजली कर्मियों की यह आशंका और बलवती हो गई है की संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण किया जा जाने वाला है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम तो शुरुआत मात्र है। इससे बिजली कर्मियों का गुस्सा और बढ़ गया है।
निजीकरण हेतु किये जा रहे उत्पीड़न और पदों को समाप्त करने की कार्यवाही के विरोध में आज प्रदेश के समस्त जनपदों पर बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
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Er. Shakti Shankar Singh (Chief Editor)